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Es steht ein goldnes Garbenfeld,
das geht bis an den Rand der Welt.
Mahle, Mühle, mahle!
Es stockt der Wind im weiten Land,
viel Mühlen stehn am Himmelsrand.
Mahle, Mühle, mahle!
Es kommt ein dunkles Abendrot,
viel arme Leute schrein nach Brot.
Mahle, Mühle, mahle!
Es hält die Nacht den Sturm im Schooß,
Und morgen geht die Arbeit los.
Mahle, Mühle, mahle!
Es fegt der Sturm die Felder rein,
es wird kein Mensch mehr Hunger schrein.
Mahle, Mühle, mahle!
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По нивите събран с плода злат
далеч, далеч, виж ето — докрай свят.
Мели ти, мелницо, мели.
Не лъхва ветрец нийде, в никой път,
и мелниците глухи там стоят —
мели ти, мелницо, мели.
Вечерен пурпур пламна в небеса.
Хляб! Хляб! На хиляди се чуй гласа.
Мели ти, мелницо, мели.
Злий вихър е обуздан в нощний мрак,
с зори ще почне работата пак.
Мели ти, мелницо, мели.
Полята вихри ще да изметат. —
Хляб! Няма вече, няма да стенат…
Мели ти, мелницо, мели.
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